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Organic Farming: A New Approach (hindi) (hb)


Edition:
01
Volume:
0
Publishing Year:
2021
Publisher:
M/s AGROBIOS (INDIA)
Author/s:
Sharma AK
Language:
Hindi

Availability:

In stock

Hard Bond
ISBN:   9788177543605
Publishing Year:  

Rs 1500.00


खेती प्रकृति का अनुपम उपहार है जिसे हमारे पूर्वजों ने धीरे-धीरे प्रकृति के साथ रहकर विकसित किया और जंगल में जो सहजीवन व्यवस्था थी उसे बुद्धि और ज्ञान से परिष्कृत किया। इस व्यवस्था में अन्य जीवों के इस सहजीवन को स्वीकारते हुऐ मनुष्य ने कृषि सम्पदा के प्रबंधन की परंपराये बनाई। 10वीं शताब्दी तक ये परंपराये चलती रही उसके बाद निरंतर आक्रमणों ने ने केवल इस व्यवस्था को छिन्न भिन्न किया वरन् ऐसी व्यवस्था विकसित की जिसमें अन्न की बजाय निर्यात के लिये फसलें जैसे कपास, गन्ना, कॉफी, रबर, जूट आदि का क्षेत्रफल बढ़ा जिससे अन्न का अकाल होने लगा। इसका दोष पारंपरिक खेती के तरीकों जैसे जैविक खाद, देषी बीज आदि को देकर, बीसवीं सदी में विज्ञान की सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली खोज अर्थात् पेट्रोलियम के उत्पादों जैसे उर्वरक व कीटनाषकों का प्रयोग व इनके प्रयोग से अधिक उत्पादन देने वाली संकर किस्मों का भरपूर प्रचार व सरकारी सहायता देकर किया गया। à¤¦à¥‹-तीन दषकों तक इन बीजों व रसायनों के प्रयोग से उत्पादन बढ़ा किन्तु उसके बाद न केवल उत्पादकता घटने लगी वरन् भूजल की कमी, भूमि उर्वरता में कमी और लगातार खाद-बीज-कीटनाषकांे के खरीदने में लिये कर्जे का बोझ बढ़ने से कृषकों ने आत्महत्या शुरू कर दी यहाँ तक की गाँव के गाँव बिकने लगे हैं तथा प्राचीन कहावत उत्तम खेती - मध्यम व्यापार-अधम चाकरी असत्य प्रतीत होने लगी है। à¤à¤¸à¥‡ समय में कई जागरूक उपभोक्ताओं की विषरहित सजीव अन्न की बढ़ती माँग के कारण और कई प्रगतिषील किसानों के पारंपरिक खेती के तरीकों को निरंतर सुधार कर पुनः पूर्वजों की विकसित खेती को आधुनिक विज्ञान का प्रकृति मित्र तकनीकों के सम्मिलित प्रयोग से स्थायी खेती का विकास किया है। इसमें अधिकाँष स्थानीय संसाधनों के चक्रीय प्रयोग से कम लागत में अच्छी गुणवत्ता का उत्पादन का प्रयास किया जाता है साथ ही पर्यावरण सुधार, स्वरोजगार व सामाजिक समरूपता का भी ध्यान रखा जाता है। इस खेती को जैविक खेती, सजीव खेती, सतत खेती व कुछ विषेष नियमों के अंतर्गत बायोडाइनामिक, होमा फार्मिंग आदि के नाम से जाना जाता है।प्रस्तुत पुस्तक में इस प्रकृति मित्र खेती के नियमों व तकनीकों को सरलता से समझाने का प्रयास किया है। इसके लिए विषय को 10 अध्यायों में बाँट कर बीज से बाजार तक की नवीनतम विष्वस्तरीय जानकारी प्रस्तुत की गयी है। अंत में कुछ जैविक खेती को समर्पित अनुसंधान, विक्रय, प्रषिक्षण आदि संस्थानों का विवरण दिया है जो इस विषय पर उपलब्ध विषाल ज्ञान भंडार को प्राप्त करने में सहयोगी हो सकती हैं। आषा है यह प्रस्तुति कृषक प्रषिक्षक, विक्रेता और वैज्ञानिक सभी के लिये उपयोगी सिद्ध होगी। 

Sharma AK

555
Table of Contents..
  1. सरलता और समग्रता का व्यवसाय - कृषि
  2. जैविक खेतीः सजीव-सरल-सतत
  3. जैविक बीजः आत्मनिर्भर खेती का पहला कदम
  4. सतत उत्पादन का आधार - चक्रीय प्रबंधन
  5. कीट-रोग-खरपतवार प्रबन्धन परंपरा और विज्ञान का संयोजन
  6. जैविक पद्धति का प्रमाणीकरण किसान - उपभोक्ता का विष्वास
  7. जैविक उत्पाद गाँव से विष्व बाजार तक
  8. जैविक खेती - गाँव में ही रोजगार
  9. भारत में जैविक खेतीः संभावनायें व नीतियाँ
  10. जैविक खेती की सफलताः प्रकृति मित्र मानसिकता और व्यवस्था
परिशिष्ट
  1. जैविक खेती को समप्रित संस्थायें
  2. प्रमाणीकरण संस्थायें
  3. प्रमाणीकरण संस्थाओं को अनुमोदित (एक्रीडेषन) करने वाली संस्थाएं
  4. जैविक खेती के उत्पादन, प्रमाणीकरण व विक्रय हेतु स्वयं सहायता समूहों एवं कृषक समूहों का गठन
  5. ज्यादा स्वाद कम लागत - जैविक सब्जियाँ
  6. ज्ञान आधारित जैविक खेती
  7. जैविक खेती की सफलताः सोलह संस्कार
  8. जैविक पशुपालनः हमारी परंपरा
  9. पुस्तक में प्रयुक्त संदर्भ व उनके प्रकाशक

Book Details

Book Title:
Organic Farming: A New Approach (hindi) (hb)
Book Type:
TEXT-CUM-REFERENCES BOOK
No Of Pages:
196
Color Pages :
0
Color Pages :
0
Book Size:
AMERICAN ROYAL (6X9)
Weight:
400 Gms
Copyright Holder:
All Rights Reserved
Imprint:
M/s AGROBIOS (INDIA)
Readership:
ENTREPRENEURS | EXTENSION WORKERS | FIELD WORKERS | GENERAL READERS | PG STUDENTS | SCIENTISTS AND RESEARCHERS | UG STUDENTS |
Associated Subjects:
Agricultural Sciences ,

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