Organic Farming: A New Approach (hindi) (pb)
खेती पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का अनà¥à¤ªà¤® उपहार है जिसे हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ ने धीरे-धीरे पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के साथ रहकर विकसित किया और जंगल में जो सहजीवन वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी उसे बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से परिषà¥à¤•à¥ƒà¤¤ किया। इस वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में अनà¥à¤¯ जीवों के इस सहजीवन को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ ने कृषि समà¥à¤ªà¤¦à¤¾ के पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन की परंपराये बनाई। 10वीं शताबà¥à¤¦à¥€ तक ये परंपराये चलती रही उसके बाद निरंतर आकà¥à¤°à¤®à¤£à¥‹à¤‚ ने ने केवल इस वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को छिनà¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ किया वरनॠà¤à¤¸à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ विकसित की जिसमें अनà¥à¤¨ की बजाय निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤ के लिये फसलें जैसे कपास, गनà¥à¤¨à¤¾, कॉफी, रबर, जूट आदि का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤«à¤² बढ़ा जिससे अनà¥à¤¨ का अकाल होने लगा। इसका दोष पारंपरिक खेती के तरीकों जैसे जैविक खाद, देषी बीज आदि को देकर, बीसवीं सदी में विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ मानी जाने वाली खोज अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पेटà¥à¤°à¥‹à¤²à¤¿à¤¯à¤® के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ जैसे उरà¥à¤µà¤°à¤• व कीटनाषकों का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— व इनके पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से अधिक उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ देने वाली संकर किसà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¤°à¤ªà¥‚र पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व सरकारी सहायता देकर किया गया। दो-तीन दषकों तक इन बीजों व रसायनों के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ बढ़ा किनà¥à¤¤à¥ उसके बाद न केवल उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•à¤¤à¤¾ घटने लगी वरनॠà¤à¥‚जल की कमी, à¤à¥‚मि उरà¥à¤µà¤°à¤¤à¤¾ में कमी और लगातार खाद-बीज-कीटनाषकांे के खरीदने में लिये करà¥à¤œà¥‡ का बोठबढ़ने से कृषकों ने आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ कर दी यहाठतक की गाà¤à¤µ के गाà¤à¤µ बिकने लगे हैं तथा पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ कहावत �उतà¥à¤¤à¤® खेती - मधà¥à¤¯à¤® वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°-अधम चाकरी� असतà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होने लगी है। à¤à¤¸à¥‡ समय में कई जागरूक उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤“ं की विषरहित सजीव अनà¥à¤¨ की बढ़ती माà¤à¤— के कारण और कई पà¥à¤°à¤—तिषील किसानों के पारंपरिक खेती के तरीकों को निरंतर सà¥à¤§à¤¾à¤° कर पà¥à¤¨à¤ƒ पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की विकसित खेती को आधà¥à¤¨à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ मितà¥à¤° तकनीकों के समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ खेती का विकास किया है। इसमें अधिकाà¤à¤· सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ संसाधनों के चकà¥à¤°à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से कम लागत में अचà¥à¤›à¥€ गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जाता है साथ ही परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ सà¥à¤§à¤¾à¤°, सà¥à¤µà¤°à¥‹à¤œà¤—ार व सामाजिक समरूपता का à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा जाता है।�इस खेती को जैविक खेती, सजीव खेती, सतत खेती व कà¥à¤› विषेष नियमों के अंतरà¥à¤—त बायोडाइनामिक, होमा फारà¥à¤®à¤¿à¤‚ग आदि के नाम से जाना जाता है।पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में इस पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ मितà¥à¤° खेती के नियमों व तकनीकों को सरलता से समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया है। इसके लिठविषय को 10 अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में बाà¤à¤Ÿ कर बीज से बाजार तक की नवीनतम विषà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤°à¥€à¤¯ जानकारी पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ की गयी है। अंत में कà¥à¤› जैविक खेती को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ अनà¥à¤¸à¤‚धान, विकà¥à¤°à¤¯, पà¥à¤°à¤·à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ आदि संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का विवरण दिया है जो इस विषय पर उपलबà¥à¤§ विषाल जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤‚डार को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने में सहयोगी हो सकती हैं। आषा है यह पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ कृषक पà¥à¤°à¤·à¤¿à¤•à¥à¤·à¤•, विकà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾ और वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• सà¤à¥€ के लिये उपयोगी सिदà¥à¤§ होगी।Â
Sharma AK
555Book Details
Book Title:
Organic Farming: A New Approach (hindi) (pb)
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Book Type:
TEXTBOOK
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No Of Pages:
216
216
Color Pages :
0
0
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Book Size:
AMERICAN ROYAL (6X9)
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Weight:
350 Gms
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Copyright Holder:
Imprint:
M/s AGROBIOS (INDIA)
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Readership:
EXTENSION WORKERS | FIELD WORKERS | GENERAL READERS | PG STUDENTS | UG STUDENTS |
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