Introductory Plant Pathology (hindi) Hb NEW
परिचयातà¥à¤®à¤• पादप रोग विजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¡à¤¾à¥….
आशीष कà¥à¤®à¤¾à¤° तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ीडाॅ.
सनत कà¥à¤®à¤¾à¤° तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ीपà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• परिचयदेश की निरंतर बà¥à¤¤à¥€ हà¥à¤ˆ आबादी के लिठखादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं की पूरà¥à¤¤à¤¿ हेतॠकृषि उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ à¤à¤µà¤‚ पौध संरकà¥à¤·à¤£ तकनीकी की अहम à¤à¥‚मिका है। देश के कà¥à¤² खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ का 50 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ हिसà¥à¤¸à¤¾ कीडों-मकोड़ांे, पौध रोग, खरपतवार, चूहों, चिड़ियों à¤à¤µà¤‚ निमेटोड के कारण कृषि उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अवसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤°à¤£ के दौरान नषà¥à¤Ÿ हो जाता है। कृषि उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में बà¥à¥‹à¤¤à¤°à¥€ के लिये हमारे सामने दो महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विकलà¥à¤ª हैं पहला तो यह कि हम पैदावार बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठकृषि योगà¥à¤¯ à¤à¥‚मि में वृदà¥à¤§à¤¿ करें जो कि लगà¤à¤— असंà¤à¤µ है। अब हमारे पास सिरà¥à¤« दूसरा महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विकलà¥à¤ª बचता है कि कम से कम कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤«à¤² से अधिक से अधिक पैदावार लें ज� कि उनà¥à¤¨à¤¤ किसà¥à¤®ï¿½à¤‚ का उपयोग, समनà¥à¤µà¤¿à¤¤ उरà¥à¤µà¤°à¤• उपयोग à¤à¤µà¤‚ पौध सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ कारकों पर निरà¥à¤à¤° करता है।कृषि में मंहगे रसायनों पर होने वाले खरà¥à¤š को कम करके परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¥‡ बिना कृषि तथा पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संसाधनों को à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लिये संचित रखते हà¥à¤¯à¥‡ उनका सफल उपयोग करके फसलों के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में लगातार वृदà¥à¤§à¤¿ करना तथा जनसमà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिये कीट, रोग à¤à¤µà¤‚ खरपतवार�ं की पहचान कर समय पर नियंतà¥à¤°à¤£ आवशà¥à¤¯à¤• है। यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• बी.
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सी.
à¤à¤—à¥à¤°à¥€ सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤• ककà¥à¤·à¤¾à¤“ं के संशोधितॠपाठयकà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ के आधार पर लिखने à¤à¤µà¤‚ संकलित करने का अà¤à¤¿à¤¨à¤µ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया है जो कि छातà¥à¤°à¤¾à¤‚े के लिय अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤°à¥à¤§à¤• à¤à¤µà¤‚ उपयोगी है।Â
आशीष कà¥à¤®à¤¾à¤° तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ीडाॅ.
सनत कà¥à¤®à¤¾à¤° तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ीपà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• परिचयदेश की निरंतर बà¥à¤¤à¥€ हà¥à¤ˆ आबादी के लिठखादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं की पूरà¥à¤¤à¤¿ हेतॠकृषि उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ à¤à¤µà¤‚ पौध संरकà¥à¤·à¤£ तकनीकी की अहम à¤à¥‚मिका है। देश के कà¥à¤² खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ का 50 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ हिसà¥à¤¸à¤¾ कीडों-मकोड़ांे, पौध रोग, खरपतवार, चूहों, चिड़ियों à¤à¤µà¤‚ निमेटोड के कारण कृषि उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अवसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤°à¤£ के दौरान नषà¥à¤Ÿ हो जाता है। कृषि उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में बà¥à¥‹à¤¤à¤°à¥€ के लिये हमारे सामने दो महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विकलà¥à¤ª हैं पहला तो यह कि हम पैदावार बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठकृषि योगà¥à¤¯ à¤à¥‚मि में वृदà¥à¤§à¤¿ करें जो कि लगà¤à¤— असंà¤à¤µ है। अब हमारे पास सिरà¥à¤« दूसरा महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विकलà¥à¤ª बचता है कि कम से कम कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤«à¤² से अधिक से अधिक पैदावार लें ज� कि उनà¥à¤¨à¤¤ किसà¥à¤®ï¿½à¤‚ का उपयोग, समनà¥à¤µà¤¿à¤¤ उरà¥à¤µà¤°à¤• उपयोग à¤à¤µà¤‚ पौध सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ कारकों पर निरà¥à¤à¤° करता है।कृषि में मंहगे रसायनों पर होने वाले खरà¥à¤š को कम करके परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¥‡ बिना कृषि तथा पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संसाधनों को à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लिये संचित रखते हà¥à¤¯à¥‡ उनका सफल उपयोग करके फसलों के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में लगातार वृदà¥à¤§à¤¿ करना तथा जनसमà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिये कीट, रोग à¤à¤µà¤‚ खरपतवार�ं की पहचान कर समय पर नियंतà¥à¤°à¤£ आवशà¥à¤¯à¤• है। यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• बी.
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Dr. Tripathi AK
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Table of Contents..
Book Details
Book Title:
Introductory Plant Pathology (hindi) Hb NEW
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Book Type:
TEXT-CUM-REFERENCES BOOK
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No Of Pages:
224
224
Color Pages :
0
0
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0
0
Book Size:
DEMY (5.5X8.5)
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Weight:
300 Gms
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Copyright Holder:
Imprint:
M/s AGROBIOS (INDIA)
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Readership:
PG STUDENTS | UG STUDENTS |
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